दोस्तों, बारिश का भी अपना अलग है। जब भी बारिश होती है तो उसमे भीग जाने का मन करता है। इस लिए आज हम कुछ बारिश पर शायरी लेकर है। यह बारिश शायरी आपको बारिश के उन हसीन पलों को याद कराएगी। उम्मीद है कि आपको यह पोस्ट पसंद आएगी।
Barish Shayari in Hindi - बारिश पर शायरी
बरस रही थी बारिश बाहर और
वो भीग रहे थे मुझ में
कोई तो बारिश ऐसी हो जो तेरे साथ बरसे
तन्हा तो मेरी ऑंखें हर रोज़ बरसाती है
तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम
आज के बाद
क्योंकि किचड़ हो गया है
बरसात के बाद
आसमान में काली घटा छाई है
आज फिर बीवी ने दो बातें सुनाई हैं
दिल तो करता है सुधर जाऊं मगर
बाजूवाली आज फिर भीग कर आयी है
हमारे शहर आ जाओ
सदा बरसात रहती है
कभी बादल बरसते है
कभी आँखे बरसती है !!
जो वो बरसा तो
इश्क़ होगा और मैं बरसा तो
बस अश्क होगा !!
जरा ठहरो की बारिश हे
यह थम जाये तो फिर जाना
किसी का तुम को छू लेना
मुझे अच्छा नहीं लगता !!
पूछते हो ना मुझसे तुम हमेशा
की मे कितना प्यार करता हू तुम्हे
तो गिन लो बरसती हुई इन बूंदो को तुम !!
मौसम का कुछ ऐसा खुमार है
मन करता चीख कर कह दू
हमको तुमसे बहुत प्यार है !!
तेरे इंतजार का मजा ही
कुछ और है
अरे उसके आगे तो तेरे
इस मौसम का
मजा भी कमजोर है !!
मौसम है बारिश का और याद
तुम्हारी आती है बारिश के हर
कतरे से सिर्फ तुम्हारी आवाज़ आती हे !
जिसके आने से
मेरे ज़ख्म भरा करते थे
अब वो मौसम मेरे ज़ख्मो को
हरा करते हैं !!
हमें मालूम है तुमने देखी हैं बारिश
की बूँदे मगर मेरी आँखों से
ये सावन आज भी हार जाता है।
मोहब्बत तो वो बारिश है जिसे छूने
की चाहत मै हथेलियां तो गीली हो
जाती है पर हाथ खाली ही रह जाते है !
आँख भर आई किसी से
जो मुलाक़ात हुई ख़ुश्क मौसम था
मगर टूट के बरसात हुई !!
हर दफ़ा बारिश उसका पैग़ाम लेकर आती है
और मेरे बंजर से दिल को हरा भरा कर जाती है।
काश मेरी जिंदगी में कोई ऐसा आता
मैं बारिश में भी रोता तो वो मेरे आंसू पढ़ जाता !
हम ख़ास तो नहीं मगर बारिश की उन
कतरों की तरह अनमोल है जो मिट्टी में
समां जायें तो फिर कभी नही मिला करते।
में तो काग़ज़ की कश्ती हु
पहली बारिश की आखरी है मुझे
बूंदों को चुने की ख्वाहिश रहती है
वही बुंदे मिटा देती है मुझे |
बारिश और मोहब्बत दोनों ही यादगार होते हे
बारिश में जिस्म भीगता हे और मोहब्बत में आँखे !
कहीं फिसल न जाऊं तेरे ख्यालों में चलते-चलते
अपनी यादों को रोको मेरे शहर में बारिश हो रही है !
हम जानते है कि आपने बारिश की बूंदों को देखा है
पर मेरी नज़रों में ये सावन आज भी हारता है !
आज आई बारिश तो याद आया वो जमाना
वो तेरा छत पे रहना और मेरा सडको पे नहाना !
हवा संग बह चला जाएगा ये बादल भी मगर
ये मेरे शहर आया है अब अदब से भीगना होगा !
किस को ख़बर थी साँवले बादल बिन बरसे उड़ जाते है
सावन आया लेकिन अपनी क़िस्मत में बरसात नही !
मुझे ऐसा ही जिन्दगी का
हर एक पल चाहिए
प्यार से भरी बारिश और
संग तुम चाहिए !!
पहले बारिश होती थी
तो याद आते थे
अब जब याद आते हो
तो बारिश होती है !!
तुम्हारे चेहरे का मौसम
बड़ा सुहाना लगे
मैं थोडा लुफ्त उठा लू
अगर बुरा न लगे !!
ये बारिशों से दोस्ती
अच्छी नहीं फ़राज़
कच्चा तेरा मकान है
कुछ तो ख्याल करो !!
उनके मिलन से
महक उठी थी फ़िज़ाएँ
सौंधी खुशबू ने
बारिश की थी ना मिट्टी की !!
ए बारिश तू इतना न बरस
की वो आ न सके
और उसके आने के बाद
इतना बरस की वो जा न सके !!
कितना कुछ धुल गया
आज इस बारिश में
हाँ तुम्हारी यादों के पन्ने भी
धुल गए इस बारिश में !!
एक ख्वाहिश हैं मेरी
लम्बी सड़क हल्की सी बारिश
बहुत सारी बातें और बस मैं और तुम
सुना है बाजार में गिर गए हैं दाम सारे इत्र के
बारिश की पहली बूंदों ने आज मिटटी को छुआ है
हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में
रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया
मैं चुप कराता हूं हर शब उमड़ती बारिश को
मगर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है
ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में
खुद भी रोता है मुझे भी रुला देता है
ये बारिश का मौसम उसकी याद दिला देता है
बे मौसम बरसात से अंदाज़ा लगता हूँ मैं
फिर किसी मासूम का दिल टुटा है मौसम-ए-बहार में
तपिश और बढ़ गई इन चंद बूंदों के बाद
काले सियाह बादलो ने भी बस यूँ ही बहलाया मुझे
Barish Shayari 2 Line
मैं तेरे हिज्र की बरसात में कब तक भीगूँ
ऐसे मौसम में तो दीवारे भी गिर जाती हैं
रहने दो कि अब तुम भी मुझे पढ़ न सकोगे
बरसात में काग़ज़ की तरह भीग गया हूँ मैं
इस बारिश के बाद वो बूंदाबांदी कुछ
इस तरह दिखती है मानो आपको अलविदा
कहने के बाद भी कुछ देर बात कर रहा हो।
बेवफाई की इस दुनिया में सावधान रहे दोस्तो
यहां लोग प्यार से भी बर्बाद कर देते हैं।
पहले बारिश होती थी तो याद आते थे
अब जब याद आते हो तो बारिश होती है !
मुझे मार ही ना डाले इन बादलो की साज़िश
ये जब से बरस रहे हैं तुम याद आ रहे हो !
ये बारिश का मौसम और तुम्हारी याद
चलो फिर मिलते हैं एक कप चाय के साथ !
रहने दो कि अब तुम भी मुझे
पढ़ न सकोगे बरसात में
काग़ज़ की तरह भीग गया हूँ !!
आग की लपटों से उनके मिलन
की सुगन्ध निकल रही थी खुशबू
न बारिश की थी और न मिट्टी की।
मासूम मोहब्बत का बस इतना फसाना है
कागज़ की हवेली है बारिश का ज़माना है !
घटाए हैं काली आसमान में सर्द
बारिश हो रही है रह रह कर मुस्कुरा
रहा हूँ और तेरी गुजारिश हो रही है !
रिमझिम तो है मगर सावन गायब है
बच्चे तो हैं मगर बचपन गायब है
क्या हो गयी है तासीर ज़माने की यारो
अपने तो हैं मगर अपनापन गायब है !
बारिश में हम पानी बनकर बरस जायेंगे
पतझड़ में भी फूल बनकर बिखर जायेंगे
क्या हुआ जो हम आपको सताते है
कभी आप इन लम्हो ले लिए भी तरस जायेंगे।
ये बारिश गवाह है
मेरे हर उन आसूँओ की
जो सिर्फ तुम्हारे लिए बहे हैं !!
मैं उसके प्यार का प्यासा हूँ
न जाने कब तेज बारिश
वो मेरी प्यास बुझाता है !
तेरी यादों के समंदर से बच गया मेरा दिल
कि अचानक फिर बारिश हो गई।
शायरों की बस्ती में कदम रखा
तो जाना कि मेरे शहर से ज्यादा
बारिश इनके दिल में होती है !
सीने में समुन्दर के लावे सा सुलगता हूँ
मैं तेरी इनायत की बारिश को तरसता हूँ
सुनो सावन चल रहा है
इजाजत हो तो
भोले से मांग लू तुमको अगले जन्म के लिए
बदली सावन की कोई जब भी बरसती होगी,
दिल ही दिल में वह मुझे याद तो करती होगी,
ठीक से सो न सकी होगी कभी ख्यालों से मेरे
करवटें रात भर बिस्तर पे बदलती होगी.
इस बारिश के मौसम में अजीब सी कशिश है
ना चाहते हुए भी कोई शिदत से याद आता है
बदली सावन की कोई जब भी बरसती होगी,
दिल ही दिल में वह मुझे याद तो करती होगी,
ठीक से सो न सकी होगी कभी ख्यालों से मेरे
करवटें रात भर बिस्तर पे बदलती होगी.
मौसम-ए-इश्क़ है तू एक कहानी बन के आ
मेरे रूह को भिगो दें जो तू वो पानी बन के आ
दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था
इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था
जब भी होगी पहली बारिश, तुमको सामने पायेंगे
वो बूंदों से भरा चेहरा तुम्हारा हम देख तो पायेंगे
बारिश से ज़्यादा तासीर है तेरी यादों मे
हम अक्सर बंद कमरे मे भी भीग जाते हैं
ए बादल इतना बरस की नफ़रतें धुल जायें
इंसानियत तरस गयी है प्यार पाने के लिये
कहीं फिसल न जाऊं तेरे खयालों में चलते चलते
अपनी यादों को रोको मेरे शेहेर में बारिश हो रही है
रहने दो कि अब तुम भी मुझे पढ़ न सकोगे
बरसात में काग़ज़ की तरह भीग गया हूँ मैं
ज़रा ठेहरो के बारिश है ये थम जाए तो फिर जाना
किसी का तुझको छु लेना मुझे अच्छा नहीं लगता
बारिश की बूँदों में झलकती है तस्वीर उनकी और
हम उनसे मिलने की चाहत में भीग जाते है
कितनी जल्दी ज़िन्दगी गुज़र जाती है
प्यास भुझ्ती नहीं बरसात चली जाती है
तेरी याद कुछ इस तरह आती है
नींद आती नहीं मगर रात गुज़र जाती है।
ख्वाहिशें तो थी
तेरे संग बारिश में भीगने की
पर ग़मों के बादल कभी
छाते ही नहीं !!
बारिश का यह मौसम कुछ याद दिलाता है
किसी के साथ होने का एहसास दिलाता है
फिजा भी सर्द है यादें भी ताजा है
यह मौसम किसी का प्यार दिल में जगाता है।
तुम्हें बारिश पसंद है मुझे बारिश में तुम
तुम्हें हँसना पसंद है मुझे हस्ती हुए तुम
तुम्हें बोलना पसंद है मुझे बोलते हुए तुम
तुम्हें सब कुछ पसंद है और मुझे बस तुम।
कोई रंग नहीं होता बारिश के पानी में
फिर भी फ़िज़ा को रंगीन बना देता है !!
यह दौलत भी ले लो यह शोहरत भी ले
लो भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी
मगर मुझको लौटा दो वह बचपन का सावन
वो कागज़ की कश्ती वो बारिश का पानी !
ख़ुद को इतना भी न बचाया कर
बारिशें हुआ करे तो भीग जाया कर।
बहुत दिनों से थी ये आसमान की
साजिश आज पूरी हुई उनकी ख्वाहिश
भीग लो अपनों को याद कर के
मुबारक हो आपको साल की ये पहली बारिश।
मौसम चल रहा है इश्क का साहिब
जरा सम्भल कर के रहियेगा !!
मुझे फ़ुरसत ही कहाँ मौसम सुहाना देखूं
मैं तेरी याद से निकलूं तो ज़माना देखूं !!
बारिश की बूँदों में झलकती है तस्वीर उनकी
और हम उनसे मिलनें की चाहत में भीग जाते है !
ये दौलत भी ले लो ये शोहरत भी ले
लो भले छीन लो मुझसे मेरी ज़वानी
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन
वो कागज़ की कश्ती वो बारिश का पानी !
न कोई छत्रछाया है न कोई मोह माया है
बारिश से ज्यादा तो मुझको तेरी यादों ने भिगाया है !!
कुछ तो चाहत होगी इन बारिश की
बूंदो की वरना कौन गिरता है इस
ज़मीन पर आसमान तक पहुँचने के बाद !
हवा भी रूक जाती है कहने को कुछ तराने
बारिश की बूंदे भी उसे छूने को करती है बहाने !
तुमको बारिश पसंद है मुझे बारिश में तुम
तुमको हँसना पसंद है मुझे हस्ते हुए तुम
तुमको बोलना पसंद है मुझे बोलते हुए तुम
तुमको सब कुछ पसंद है और मुझे बस तुम !!
खिड़की के शीशे गीले हैं
मेरा दिल भी गीला है
लगता है कल रात बारिश हुई है
बाहर भी और अंदर भी।
मजबूरियॉ ओढ़ के निकलता हूं घर से आजकल
वरना शौक तो आज भी है बारिशों में भीगनें का !
जिनके पास सिक्के थे वो
मज़े से भीगते रहे बारिश में
जिनके पास नोट थे
वो छत तलाशते हुए रह गए !!
बहुत दिनों बाद मेरे शहर में बारिश हुई, अब देखो,
कुछ बूँदें अभी भी पलकों के चारों ओर लिपटी हुई हैं।
जिंदगी चार दिन की है कुछ भी खराब मत करो
जो भी दवा, जैम, प्यार या जहर मिले उसका लुत्फ उठाएं।
बारिश की बूंदों का चश्मदीद गवाह
बनने चाहता हू मैं तेरे साथ एक
चाय की चुस्की भरना चाहता हूं !
ब्यूटीफुल बारिश शायरी
इस तरह भिगे हम तेरे लिए बारिश में
क्योकि बरसात के मौसम में भी
तेरा अहसास है !!
बारिश से कही और बारिश हो रही है
मेरा दिल बहुत कमजोर है
इस बात को लेकर वह रोता हैं।
तुम जो होते तो बात और थी
अब की बारिश तो सिर्फ पानी है
ये बारिशें भी कम ज़ालिम नहीं यादों की बौछार तुम्हारी और
इंतेज़ार में जज़्बात मेरे सीलन खाते है
वो मेरे रू-ब-रू आए भी तो बरसात के मौसम में
मेरे आँसू बेह रहे थे और वो बरसात समझ बैठे
बारिश की बूंदों को
छातों से रोका न करो,
बेचारी बहुत दूर से तुमसे मिलने आती हैं।
ये बारिश भी बिल्कुल तुम्हारी तरह है,
फर्क सिर्फ इतना है,
तुम मन को भीगा देते हो,
वो पूरे तन को भीगा देती है।
बारिशों की भी अपनी कहानी है,
जैसे अश्कों के साथ बहता पानी है।
मोहब्बत तो वो बारिश है
जिसे छूने की चाहत मैं
हथेलियां तो गीली हो जाती है
पर हाथ खाली ही रह जाते है !!
पहली बारिश का नशा ही
कुछ अलग होता है
पलको को छूते ही
सीधा दिल पे असर होता है !!
मौसम हे बारिश का
और याद तुम्हारी आती हे
बारिश के हर कतरे से सिर्फ
तुम्हारी आवाज़ आती हे !!
ग़म-ए-बारिशे इसीलिए नही
कि तुम चले गए
बल्कि इसलिए कि
हम ख़ुद को भूल गए !!
नैनों से अब बारिश होती है
मेरी पलकों के कोनों से
नींद रोती है मेरी !!
बारिश सुहानी और
मोहब्बत पुरानी
जब भी मिलती है
नई सी लगती है !!
ए बारिश कहीं और जाके
बरसा कर
मेरा दिल बहुत कमजोर है
बात बात पर रोया करता है !!
पिघलती बारिशों में दिल की जमी
धुली धुली सी है धुआं धुआं से मौसम में
दिल की कली खिली खिली सी है !
कह दो बादलों से
कुछ पानी मेरी आँखों से
उधार ले जाये !!
कुछ तो चाहत होगी इन बूंदों की भी
वरना कौन छूता है इस जमीन को
उस आसमान से टूटकर।
बारिशों में बेवजह भी भीग जाना
चाहिए मेरे अजीज यारो हर
मौसम का लुत्फ उठाना चाहिए।
पहली बारिश की खुशबू कुछ यादें ताजा कर गई
की तुम भी बदलते मौसम की तरह बदल गई !
किया न करो मुझसे
इश्क़ की बातें बिन बारिश के ही
भीग जाती हैं रातें !!
बारिश और मोहब्बत दोनों ही यादगार होते है
बारिश में जिस्म भीगता है और मोहब्बत में आँखे !
बारिश की बूंदों को छातों से रोका न करो
बेचारी बहुत दूर से तुमसे मिलने आती हैं !!
बारिश की बूंदो में झलकती है उसकी तस्वीर
आज फिर भीग बैठे उसे पाने की चाहत मे !
बेईमान मौसम से पूछो
कुछ हरकत कर रहा है
बताता नहीं क्या
ये मेरे हमसफर से डर रहा है !!
काश कोई इस तरह भी
वाकिफ हो मेरी जिंदगी से
कि मैं बारिश में भी रोऊँ
और वो मेरे आँसू पढ़ ले !!
कहीं फिसल ना जाओ जरा संभल के रहना
मौसम बारिश का भी है और मोहब्बत का भी।
ये इश्क़ का मौसम अजीब है जनाब
इस बारिश में कई रिश्ते धुल जाते है
बेगानों से करते है मोहब्बत कुछ लोग
और अपनों के ही आंसू भूल जाते है।
बारिशो की भी अपनी कहानी है
जैसे अश्को के साथ बहता पानी है !!
बारिशो मे भीगना गुज़रे ज़माने की बाते हो गई
कपड़ों की कीमतें मस्ती से कहीं ज्यादा हो गई !
किया न करो मुझसे इश्क़ की बाते
बिन बारिश के ही भीग जाती हैं राते !
अपने विचारो मे ताक़त रखो आवाज़ मे नही
क्योंकि फसल बारिश से होती है बाढ़ मे नही !
हमारी किस्मत में लिखी है ये दूरियां
वरना हम भी तेरी बाहों में मरना चाहते हैं।
कुछ नशा तेरी बात का है
कुछ नशा धीमी बरसात का है
हमे तुम यूँही पागल मत समझो
यह दिल पर असर पहली मुलाकात का है !
तुम्हारे चेहरे का मौसम बड़ा सुहाना लगे
मैं थोडा लुफ्त उठा लू अगर बुरा न लगे !
जब भी होगी पहली बारिश तुमको सामने पाएंगे
वो बूंदों से भरा चेहरा तुम्हारा हम कैसे देख पाएंगे !
ख़ुद को इतना भी मत
बचाया कर बारिश हो तो भीग
जाया कर !!
बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है !
साल की पहली बारिश मे साथ नही हो तुम
आज की तो क्या ही बात करे बहुत दूर हो तुम
कल की रात कैसे बीती सोच नही सकते तुम
जाना कल ही सबसे ज्यादा ख्वाब में आए तुम !
ख़ुद को इतना भी न बचाया कर
बारिश हुआ करे तो भीग जाया कर
जब भी होगी पहली बारिश तुमको सामने पाएँगे
वो बूंदों से भरा चेहरा तुम्हारा हम देख तो पाएँगे
कल रात मैंने सारे ग़म आसमान को सुना दिए
आज मैं चुप हूँ और आसमान बरस रहा है
इस भीगे भीगे मौसम में थी आस तुम्हारे आने की
तुमको अगर फुर्सत ही नहीं तो आग लगे बरसातों को
मजबूरियाँ ओढ़ के निकलता हूँ घर से आजकल
वरना शौक तो आज भी है बारिश में भीगने का
सावन के महीने में भीगे थे हम साथ में
अब बिन मौसम भीग रहे है तेरी याद में
हम भीगते है जिस तरह से तेरी यादों में डूब कर
इस बारिश में कहाँ वो कशिश तेरे खयालों जैसी
पूछते थे ना कितना प्यार है हमें तुम से
लो अब गिन लो ये बूँदें बारिश की
अजब लुत्फ़ का मंज़र देखता रेहता हूँ बारिश में
बदन जलता है और मैं भीगता रेहता हूँ बारिश में
अबके बारिश में तो ये कार-ए-ज़ियाँ होना ही था
अपनी कच्ची बस्तियों को बे-निशाँ होना ही था
सुनो महसूस करो बादल की गरज
बिजली की चमक
बारिश की एक एक बूँद
तुमसे चीख चीख कर कह रही है???
आज तो नहा लो
जब जब घिरे बादल तेरी याद आयी
जब झूम के बरसा सावन तेरी याद आयी
जब जब मैं भीगा मुझे तेरी याद आयी
मेरे भाई तू ने मेरी छतरी क्यों नहीं लौटायी
क्या मस्त मौसम आया है
हर तरफ पानी ही पानी लाया है
तुम घर से बाहर मत निकलना
वरना लोग कहेंगे बरसात हुई नहीं
और मेढक निकल आया है
हमारे शहर आ जाओ सदा बरसात रहती है
कभी बादल बरसते है कभी आँखें बरसती है
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