हेलो दोस्तों, आज की इस पोस्ट में हम आपके लिए गरीबी पर शायरी लेकर आये है। अगर आप भी गरीबी पर शायरी ढूंढ रहे है तो आप बिल्कुल सही जगह पर है। आप इन गरीबी पर शायरी को अपने सोशल मीडिया पर शेयर कर सकते है। उम्मीद है कि यह पोस्ट पसंद आएंगे।
Garibi Shayari in Hindi | Poor Person Status 2 Lines
यहाँ गरीब को मरने की इसलिए भी जल्दी है साहब,
कहीं जिन्दगी की कशमकश में कफ़न महँगा ना हो जाए।
शाम को थक कर टूटे झोपड़े में सो जाता है
वो मजदूर, जो शहर में ऊंची इमारतें बनाता है
ये गंदगी तो महल वालों ने फैलाई है साहब,
वरना गरीब तो सड़कों से थैलीयाँ तक उठा लेते हैं
अजीब मिठास है मुझ गरीब के खून में भी,
जिसे भी मौका मिलता है वो पीता जरुर है
उसने यह सोचकर अलविदा कह दिया
गरीब लोग हैं, मुहब्बत के सिवा क्या देँगे
छीन लेता है हर चीज़ मुझसे ऐ खुदा
क्या तू मुझसे भी ज्यादा गरीब है
खिलौना समझ कर खेलते जो रिश्तों से
उनके निजी जज्बात ना पूछो तो अच्छा है
बाढ़ के पानी में बह गए छप्पर जिनके
कैसे गुजारी रात ना पूछो तो अच्छा है
वो जिसकी रोशनी कच्चे घरों तक भी पहुँचती है,
न वो सूरज निकलता है, न अपने दिन बदलते हैं।
वो राम की खिचड़ी भी खाता है,
रहीम की खीर भी खाता है,
वो भूखा है जनाब उसे,
कहाँ मजहब समझ आता है।
बस एक बात का मतलब आज तक समझ नहीं आया।
जो गरीब के हक के लिए लड़ते हैं वो अमिर कैसे बन जाते हैं।
खुदा के दिल को भी सुकून आता होगा।
जब कोई गरीब चेहरा मुस्कुराता होगा।
यूँ गरीब कह कर खुद की तौहीन ना कर ऐ बंदे।
गरीब तो वो लोग हैं जिनके पास ईमान नहीं है।
कभी कपड़े के तन पर अजीब लगती हैं।
अमीर बाप की बेटी गरीब लगती हैं।
किस्मत को खराब बोलने वालो ।
कभी किसी गरीब के पास बैठ के पुछना जिंदगी क्या हैं।
गरीब भूख से मरे तो अमीर आहो से मर जाए।
इनसे जो बच गए वो झूठे रिवाजो से मर जाए।
अमीर के छत पे बैठा कव्वा भी मोर लगता हैं।
गरीब का भुखा बच्चा भी चोर लगता हैं।
छुपाता था वो गरीब अपने भूख को गुरबत में।
अब वो भी फकर से कहेगा मेरा रोजा हैं।
अ़शक उनकी आँखों के करीब होते हैं।
रिश्ते दर्द के जिसको होते हैं।
दौलत अपने दिल की लुटा दी है जिसने।
कोई कहते हैं कि वो गरीब होते हैं।
दौलत है फिर भी अमीर नहीं लगते हो,
क्योंकि आप गरीबों-सी सोच रखते हो.
जो गरीबी में एक दिया भी न जला सका।
एक अमीर का पटाखा उसका घर जला गया।
गरीबों के बच्चे भी खाना खा सके त्योहारों में।
तभी तो भगवान खुद बिक जाते हैं बजारो में।
अमीर की बेटी पार्लर में जितना दे आती है ,
उतने में गरीब की बेटी अपने ससुराल चली जाती है।
अमीरी का हिसाब तो दिल देख के कीजिये साहब ,
वरना गरीबी तो कपड़ो से ही झलक जाती है।
भटकती है हवस दिन-रात सोने की दुकानों पर ,
गरीबी कान छिदवाती है तिनके डाल देती है।
रजाई की रुत गरीबी के आँगन में दस्तक देती है ,
जेब गरम रखने वाले ठण्ड से नहीं मरते।
पेट की भूख ने जिंदगी के ,
हर एक रंग दिखा दिए।
जो अपना बोझ उठा ना पाये ,
पेट की भूख ने पत्थर उठवा दिए।
सुला दिया माँ ने भूखे बच्चे को ये कहकर ,
परियां आएंगी सपनों में रोटियां लेकर।
एै मौत ज़रा पहले आना गरीब के घर ,
कफ़न का खर्च दवाओं में निकल जाता है।
छीन लेता हैं हर चीज़ मुझसे ये खुदा।
क्या तू मुझसे भी ज्यादा गरीब हैं।
मज़बूरी में जिनकी लाज लगी दांव पर,
क्या लाई सौगात ना पूछो तो अच्छा है.
गरीबों की औकात ना पूछो तो अच्छा है,
इनकी कोई जात ना पूछो तो अच्छा है.
ऐ सियासत तूने भी इस दौर में कमाल कर दिया,
गरीबों को गरीब अमीरों को माला-माल कर दिया .
बहुत जल्दी सीख लेता हूँ जिंदगी का सबक,
गरीब बच्चा हूँ बात-बात पर जिद नहीं करता.
उन घरों में जहाँ मिटटी के घड़े रहते हैं,
कद में छोटे मगर लोग बड़े रहते हैं
गरीब शायरी | 2 line garibi shayari
कैसे मोहब्बत करूँ
बहुत गरीब हूँ सहाब,
लोग बिकते हैं
और मैं खरीद नहीं पाता।
यूँ न झाँका करो किसी गरीब के दिल में,
के वहाँ हसरतें वेलिबास रहा करती हैं।
अमीर की बेटी पार्लर में जितना दे आती है
उतने में गरीब की बेटी अपने ससुराल चली जाती है
जो गरीबी में एक दिया भी न जला सका
एक अमीर का पटाखा उसका घर जला गया
गरीबों की औकात ना पूछो तो अच्छा है,
इनकी कोई जात ना पूछो तो अच्छा है।
चेहरे कई बेनकाब हो जायेंगे ,
ऐसी कोई बात ना पूछो तो अच्छा है।
मरहम लगा सको तो किसी गरीब के जख्मों पर लगा देना ,
हकीम बहुत हैं बाजार में अमीरों के इलाज खातिर।
गरीब नहीं जानता क्या है मज़हब उसका ,
जो बुझाए पेट की आग वही है रब उसका।
अजीब मिठास है मुझ गरीब के खून में भी,
जिसे भी मौका मिलता है वो पीता जरुर है।
भूख ने निचोड़ कर रख दिया है जिन्हें ,
उनके तो हालात ना पूछो तो अच्छा है।
मज़बूरी में जिनकी लाज लगी दांव पर ,
क्या लाई सौगात ना पूछो तो अच्छा है।
घर में चूल्हा जल सके इसलिए कड़ी धूप में जलते देखा है ,
हाँ मैंने गरीब की सांस को गुब्बारों में बिकते देखा है।
गरीब लहरों पे पहरे बैठाय जाते हैं ,
समंदर की तलाशी कोई नही लेता।
खिलौना समझ कर खेलते जो रिश्तों से ,
उनके निजी जज्बात ना पूछो तो अच्छा है।
बाढ़ के पानी में बह गए छप्पर जिनके ,
कैसे गुजारी रात ना पूछो तो अच्छा है।
ऐ सियासत... तूने भी इस दौर में कमाल कर दिया,
गरीबों को गरीब अमीरों को माला-माल कर दिया।
दिन ईद के जब क़रीब देखे,
मैंने अक्सर उदास ग़रीब देखे.......!!
इस कम्बख़्त मौत ने सारा फासला ही मिटा दिया,
एक अमीर को लाकर गरीब के पास ही लिटा दिया.........!!
अमीरी मोहब्बत को इज्जत नही देती है,
कभी गरीबों से इश्क़ करके जरूर देखना..........!!
अब मैं हर मौसम में खुद को ढाल लेता हूँ,
छोटू हूँ… पर अब मैं बड़ो का पेट पाल लेता हूँ।
न जाने वो किस खिलौने से खेलता है,
गरीब का बच्चा जो पूरे दिन मेले में गुब्बारें बेचता है।
भूखे की थाली में भी अनाज होना चाहिए,
साहब !!! गरीबों के लिए भी जिहाद होना चाहिए।
Garibi Status for WhatsApp
अमीरी ने सिखाया जीना दौलत तोल के,
मुफलिसी ने सिखाया जीना मीठा बोल के।
मैंने टूट कर रोते देखा नसीब को,
जब मुस्कुराते देखा मासूम गरीब को।
उस गरीब ने अपने फटे कपड़े को पूरे ढंग से सिला,
पर वो अपनी फटी किस्मत को न सिल सका।
गरीबो को गले लगाता कौन है,
उनके दर्द में आँसू बहाता कौन है ,
उनकी मौत पर सियासत छिड़ जाती है,
उनके जीते जी इज्जत दिलाता कौन है।
दिमागी रूप से जो गरीब हो जाते है,
वही गरीबों का मजाक उड़ाते है।
मेरी गरीबी का मजाक कब तक बनाओगे,
अपनी नाकमयाबी को कब तक छुपाओगे।
उसकी गरीबी और भूख का कोई अंदाजा तो लगाएं,
उसकी पीठ आतों से जाकर सटी हुई है।
मैं क्या महोब्बत करूं किसी से,
मैं तो गरीब हूँ।
लोग अक्सर बिकते हैं,
और खरीदना मेरे बस में नहीं।
उसने यह सोच कर अलविदा कह दिया।
गरीब लोग हैं मुहब्बत के सिवा क्या देंगे।
इसे नसीहत कहूँ या जुबानी चोट साहब,
एक शख्स कह गया गरीब मोहब्बत नहीं करते।
हम गरीब लोग है किसी को मोहब्बत के सिवा क्या देंगे,
एक मुस्कराहट थी,
वह भी बेवफ़ा लोगो ने छीन ली।
मोहब्बत भी सरकारी नौकरी लगती हैं साहब,
किसी गरीब को मिलती ही नहीं।
वो जिनके हाथ में हर वक्त छाले रहते हैं,
आबाद उन्हीं के दम पर महल वाले रहते हैं।
ड़ोली चाहे अमीर के घर से उठे चाहे गरीब के,
चौखट एक बाप की ही सूनी होती है।
घटाएं आ चुकी हैं आसमां पे…
और दिन सुहाने हैं।
मेरी मजबूरी तो देखो मुझे बारिश में भी काग़ज़ कमाने हैं।
कभी आँसू तो कभी खुशी बेचीं ,
हम गरीबों ने बेकसी बेची।
चंद सांसे खरीदने के लिए ,
रोज़ थोड़ी सी जिंदगी बेचीं।
दोपहर तक बिक गया बाजार का हर एक झूठ ,
और एक गरीब सच लेकर शाम तक बैठा ही रहा।
गरीबी बन गई तश्हीर का सबब “आमिर” ,
जिसे भी देखो हमारी मिसाल देता है।
जब भी मुझे जियारत करनी होती है ,
मै गरीब लोगो में बैठ आता हूं।
जनाजा बहुत भारी था उस गरीब का,
शायद सारे अरमान साथ लिए जा रहा था।
यहाँ गरीब को मरने की इसलिए भी जल्दी है साहब,
कहीं जिन्दगी की कशमकश में कफ़न महँगा ना हो जाए।
सहम उठते हैं कच्चे मकान पानी के खौफ से।
महलोंं कि आरजू ये हैं कि बरसात तेज हो।
हे ईश्वर तुमने जिन्दगी इतनी जटिल क्यु बनाई,
कि गरीब दो वक्त के रोती के लिए तरस रहे हैं.......!!
कभी आंसू कभी ख़ुशी बेची, हम गरीबों ने दुःख बेची,
चंद भर सांसे खरीदने के लिए रोज थोड़ी-थोड़ी सी जिन्दगी बेची.......!!
Gareebi status in hindi
तुम रोज TV 📺 पर नेताओं के ताओ देखते हो,
हम गरीब हैं बाजार में बढ़े सब्जियों के भाव देखता हूँ.....!!
अमीरों के शहर में ही गरीबी दिखती है,
छोड़ दो ऐसा शहर जहाँ हवा बिकती है।
जिन बच्चों के सिर से माँ-बाप का साया हट जाता है,
उन्हें ऐसे हालात में देखकर कलेजा मेरा फट जाता है।
गरीबी का एहसास जब दिल में उतर जाता है,
गरीब का बच्चा जिद करना भी भूल जाता है।
जिन अखबारों को रद्दी समझकर फेक देते है,
कुछ बदनसीब नींद के लिए बिछौना बना लेते है।
यूँ गरीब कहकर खुद की तौहीन ना कर ए बदें ,
गरीब तो वो लोग है जिनके पास ईमान नही।
भूख से बिलखते हुए वो फिर नहीं सोया ,
एक और रात भारी पड़ी गरीबी पर।
जब भी देखता हूँ किसी गरीब को हँसते हुए,
यकीनन खुशिओं का ताल्लुक दौलत से नहीं होता।
तहजीब की मिसाल गरीबों के घर पे है,
दुपट्टा फटा हुआ है मगर उनके सर पे है।
कैसे बनेगा अमीर वो हिसाब का कच्चा भिखारी,
एक सिक्के के बदले जो बीस किमती दुआ देता हैं।
कही बेहतर है तेरी अमीरी से मुफसिली मेरी।
चंद सिक्के के ख़ातिर तू ने क्या नहीं खोया हैं।
माना नहीं है मखमल का बिछौना मेरे पास।
पर तू ये बता कितनी राते चैन से सोया है।
उन घरो में जहाँ मिट्टी कि घड़े रखते हैं।
कद में छोटे मगर लोग बड़े रखते हैं।
ये गंदगी तो महल वालों ने फैलाई है साहब,
वरना गरीब तो सड़कों से थैलीयाँ तक उठा लेते हैं।
ना जाने मेरा मज़हब क्या है ।
ना हिंदू हु ना मुसलमान
लोग मुझे गरीब कहते हैं
कैसे मुहब्बत करु बहुत गरीब हूँ साहब।
लोग बिकते हैं और मैं खरीद नहीं पाता।
चेहरा बता रहा था कि मारा हैं भूख ने।
सक कर रहे थे के कुछ खा के मर गया।
हजारों दोस्त बन जाते है, जब पैसा पास होता है,
टूट जाता है गरीबी में, जो रिश्ता ख़ास होता है।
रोज शाम मैदान में बैठ ये कहते हुए एक बच्चा रोता था।
हम गरीब है इसलिए हम गरीब का कोई दोस्त नहीं होता।
वो जिसकी रोशनी कच्चे घरों तक भी पहुँचती है,
न वो सूरज निकलता है, न अपने दिन बदलते हैं।
Amiri garibi shayari in hindi
शाम को थक कर टूटे झोपड़ी में सो जाता हैं।
वो मजदूर जो शहर में ऊंची इमारतें बनाता हैं।
अपने मेहमान को पलको पे बिठा लेती हैं।
गरीबी जानती हैं घर में बिछौने कम हैं।
हमने कुछ ऐसे भी गरीब देखे हैं ,
जिनके पास पैसों के अलावा कुछ भी नहीं।
कमी लिबास की तन पर अजीब लगती है,
अमीर बाप की बेटी गरीब लगती है।
क्या किस्मत पाई है रोटीयो ने भी निवाला बनकर,
रहिसो ने आधी फेंक दी,
गरीब ने आधी में जिंदगी गुज़ार दी।
मैं कड़ी धूप में जलता हूँ इस यकीन के साथ।
मैं जलुँगा तो मेरे घर में उजाले होगे।
जरा सी आहट पर जाग जाता है वो रातो को।
ऐ खुदा गरीब को बेटी दे तो दरवाजा भी दे।
मजबूरीयाँ हावी हो जाएये जरुरी तो नहीं।
थोड़े बहुत शैख तो गरीब भी रखती हैं।
सुनो हम तो गरीब ही थे लेकिन।
तुम्हें क्या कमी थी जो हमारा दिल ले गयी।
यहा गरीब को मरने की जल्दी यूँ भी हैं।
के कही कफन महंगा ना हो जाए।
मैं गरीब का बच्चा था इसलिए भूखा रह गया।
पेट भर गया वो कुत्ता जो अमीर के घर का था।
सर्दी, गर्मी, बरसात और तूफ़ान मैं झेलता हूँ,
गरीब हूँ… खुश होकर जिंदगी का हर खेल खेलता हूँ।
तुम रूठ गये थे जिस उम्र में खिलौना न पाकर,
वो ऊब गया था उस उम्र में पैसा कमा-कमा कर।
छीन लेता है हर चीज़ मुझसे ऐ खुदा ,
क्या तू मुझसे भी ज्यादा गरीब है।
अमीर लोग तो साहब सपने देखे है raat को,
हम गरीब तो अपने बच्चों के भूखे चेहरे देखते हैं.......!!
मरहम लगा सको तो किसी गरीब के जख्मों पर लगा देना
हकीम बहुत हैं बाजार में अमीरों के इलाज खातिर
तहजीब की मिसाल गरीबों के घर पे है,
दुपट्टा फटा हुआ है मगर उनके सर पे है।
ज़मीन तो जल चुकी है, लेकिन आसमान बाकी है मेरे दोस्तों
ओ पानी के सूखे कुएं तुम्हारा इम्तेहान बाकी है,
तू बरस जाना रे मेघा जल्दी,
किसी का घर गिरवी तो किसी का लगान बाकी है.
अपने मेहमान को पलकों पे बिठा लेती है
गरीबी जानती है घर में बिछौने कम हैं
जब भी देखता हूँ किसी गरीब को हँसते हुए,
यकीनन खुशिओं का ताल्लुक दौलत से नहीं होता
गरीबी बन गई तश्हीर का सबब आमिर,
जिसे भी देखो हमारी मिसाल देता है।
जो गरीबी में एक दिया भी न जला सका
एक अमीर का पटाखा उसका घर जला गया
आज तक बस एक ही बात समझ नहीं आती,
जो लोग गरीबों के हक के लिए लड़ते हैं
वो कुछ वक़्त के बाद अमीर कैसे बन जाते हैं
जरा सी आहट पर जाग जाता है वो रातो को
ऐ खुदा गरीब को बेटी दे तो दरवाज़ा भी दे
दिखाने को दुःख तो सभी जताते हैं मगर कोई भी आँसू क्यों नहीं पोछता,
अपनी रोटी में से एक किसी और को दे दूं इस बात को कोई क्यों नहीं सोचता,
जिस दिन इस देश के लोगों की सोच बदल जायेगी,
यकीन मानिये हमारे देश में गरीबी और भुखमरी दूर दूर तक नज़र नहीं आयेगी.
हजारों दोस्त बन जाते है, जब पैसा पास होता है,
टूट जाता है गरीबी में, जो रिश्ता ख़ास होता है।
किसी गरीब को मत सता,
गरीब बेचारा क्या कर सकेगा,
वोह तोह बस रो देगा,
पर उसका रोना सुन लिया ऊपर वाले ने,
तोह तू अपनी हस्ती खो देगा
किस्मत को खराब बोलने वालों
कभी किसी गरीब के पास बैठकर पूछना जिंदगी क्या है
रुखी रोटी को भी बाँट कर खाते हुये देखा मैंने,
सड़क किनारे वो भिखारी शहंशाह निकला
वो जिनके हाथ में हर वक्त छाले रहते हैं,
आबाद उन्हीं के दम पर महल वाले रहते हैं
तुम किसी के बुझते हुए चूल्हे में एक बार हवा लगाकर तो देखो,
किसी नंगे पांव वाले इन्सान के छालों पर दवा लगाकर तो देखो.
गरीब किसानों की मेहनत पर उंगलिया उठाने वालों
तुम्हें भी समझ आ जाएगा मूल्य फसलों का एक बार खेतो में तो CC TV कैमरे लगाकर देखो.
कमी लिबास की तन पर अजीब लगती है
अमीर बाप की बेटी गरीब लगती है
दो वक़्त की रोटी कभी दो वक़्त के लाले ,
गरीब की तक़दीर में क्या बोसा ए मोहब्बत क्या आरज़ू ए निवाले
दिन ईद के जब क़रीब देखे
मैंने अक्सर उदास ग़रीब देखे
हमने कुछ ऐसे भी गरीब देखे हैं
जिनके पास पैसों के अलावा कुछ भी नहीं
गरीबों की औकात ना पूछो तो अच्छा है,
इनकी कोई जात ना पूछो तो अच्छा है,
चेहरे कई बेनकाब हो जायेंगे,
ऐसी कोई बात ना पूछो तो अच्छा है।
खिलौना समझ कर खेलते जो रिश्तों से,
उनके निजी जज्बात ना पूछो तो अच्छा है,
बाढ़ के पानी में बह गए छप्पर जिनके,
कैसे गुजारी रात ना पूछो तो अच्छा है.
भूख ने निचोड़ कर रख दिया है जिन्हें,
उनके तो हालात ना पूछो तो अच्छा है,
हर दिन नये नये स्टेटस और शायरी पाने के लिए अभी Bookmark करें StatusCrush.in को।
1 टिप्पणियाँ
एक छत को बनाते बनाते